तुलसी की खेती कर कमा सकते हैं 3 माह में 3 लाख रूपए जानिए कैसे?
कम लागत, कम मेहनत और मुनाफा कई गुना। सुनने में भले अटपटा लगे लेकिन तुलसी की खेती करने वाले किसान इसकी हकीकत जानते हैं। तुलसी आमतौर पर घरों के आंगन में दिखाई देती है। तुलसी को घर के आंगन में लगाने की परंपरा उसके औषधीय गुणों के कारण है। यह गुण अब किसानों को भी मालामाल कर रहा है।
तुलसी की खेती करने वाले किसानों की मानें तो 10 बीघा जमीन में तीन महीने में 15 हजार रु. की लागत से तैयार तुलसी की खेती से तीन लाख रु. का मुनाफा हो रहा है। तुलसी ने उनके भाग्य बदल दिए हैं। मालवांचल में सोयाबीन की विपुल खेती होती है लेकिन कुछ सालों से सोयाबीन किसानों को नुकसान में डाल रहा है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को सोयाबीन छोड़ कर अन्य खेती अपनाने की सलाह दे रहे हैं। जिले के दो किसानों ने उनकी सलाह मानी और तुलसी की खेती शुरू की। पहली ही फसल ने उन किसानों को जो मुनाफा दिया, उसकी कल्पना तो उन्होंने कभी की ही नहीं थी। अब वे अन्य किसानों को भी अपने अनुभव बताकर तुलसी की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
खाचरौद
तहसील के किसान अनोखीलाल पाटीदार ने 10 बीघा जमीन पर तुलसी की बुवाई की।
भारी बारिश में सोयाबीन की फसल खेतों में जलभराव के कारण नष्ट हो गई लेकिन
तुलसी के पौधों को कोई नुकसान नहीं हुआ। औषधीय पौधा होने से उस पर कीटों का
प्रभाव नहीं पड़ता। पाटीदार ने बताया उन्होंने तुलसी के पौधे खरीफ के
पिछले सीजन में भी लगाए थे। 10 बीघा जमीन में 10 किलो बीज की बुवाई की थी।
10 किलो बीज की कीमत 3 हजार रुपए है। 10 हजार रुपए खाद एवं दो हजार रु.
अन्य खर्च आया। सिंचाई भी सिर्फ एक बार करना पड़ती है।
पिछले सीजन में करीब 8 क्विंटल उत्पादन हुआ था और औसत तीन लाख रुपए की
कमाई हुई। तुलसी बीज नीमच मंडी में 30 से 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल के
भाव बिकते हैं। जिले में औषधीय खेती अश्वगंधा 102 हैक्टेयर तुलसी 30
हैक्टेयर सफेद मूसली 15 हैक्टेयर इसबगोल 20 हैक्टेयर तुलसी : कई बीमारियों
का इलाज तुलसी एक प्रकार की औषधि है। नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता
बढ़ती है। शहद के साथ सेवन से किडनी की पथरी का 6 माह में इलाज!
कोलेस्ट्रोल
को नियंत्रित करती है। पत्तियों के रस का नियमित सेवन करने से हार्ट
संबंधित बीमारियों में लाभ। स्वाइन फ्लू में इसका काढ़ा पीने से लाभ।
(आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी एवं कुपोषण के नोडल अधिकारी डॉ एसएन पांडे ने
जैसा बताया।) इनका कहना जिले में 157 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय खेती की जा
रही है। इसका रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इस खेती से होने वाला
ज्यादा मुनाफा किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। नरेेंद्र सिंह तोमर,
उपसंचालक उद्यानिकी।