आप मानें या न मानें लेकिन इस पृथ्वी में जितना शोषण महिलाओं का होता
है, शायद ही किसी जीव या जंतु का होता होगा. कई जीव रोज़ मर जाते हैं,
लेकिन एक महिला रोज़ मरती है. कोई घर की दहलीज़ में सिमट कर रिवाज़ों के
बंधन में बंध कर मरती है, तो कोई रेड लाइट एरिया में. देश का दूसरा सबसे
बड़ा रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में आज भी हजारों सेक्स वर्कर्स बद से बद्तर
जिंदगी बिता रही हैं. आपको अंदाज़ा भी नहीं होगा कि यहां पर रहने वाली
महिलाओं की ज़िंदगी कितनी भयावह हो सकती है. मशहूर अमेरिकी फ़ोटोग्राफर मैरी एलेन मार्क
1980 के दशक में कमाठीपुरा में रहने वाली मजबूर महिलाओं की लाइफ को अपने
कैमरे में कैद कर उन्हें मिलने वाली प्रताड़नाओं के बारे में बताया था. इन
तस्वीरों के लिए मैरी एलेन मार्क को कमाठीपुरा में तीन महीने गुजारने पड़े.
इन्होंने इन फोटोज़ की एक सीरिज़ बनाईं, जिसका नाम 'द केज गर्ल्स ऑफ़ बॉम्बे' था. आपको बता दें कि मार्क की मौत पिछले साल ही हो गई थी.
मैरी एलेन मार्क का कैमरा कहता है
फोटो सीरीज में सेक्स वर्कर्स को होने वाली बीमारियां, अत्याचार और गरीबी को दिखाया गया था.
बताया जाता है कि 80-90 के दशक में इस इलाके में अंडरवर्ल्ड का बोलबाला था.
देह व्यापार के अलावा ड्रग्स और कई अवैध धंधे पनपने लगे.
कमाठीपुरा अब मानव तस्करी का बड़ा अड्डा बनता जा रहा है.
लड़कियों को अंधेरे कमरे में इंजेक्शन देकर बंद रखा जाता है.
जवान दिखने के लिए टैबलेट्स भी दी जाती है.
एक रात में इन लड़कियों को 5 से 8 कस्टमर्स के आगे परोसा जाता है.
इनकी आंखों में दर्द के अलावा और कुछ ही नहीं है.
आंखों में बेबसी है!
ग्राहक का इंतज़ार करती महिला
यही हैं अमेरिका के महान फोटोग्राफर मैरी एलेन मार्क!
सच पूछा जाए तो सेक्स वर्कर्स की ज़िंदगी काफी डरावनी होती है. मजबूरी
में अपनी देह बेच कर गुजारा करने वाली इन महिलाओं से अच्छी ज़िंदगी तो
उड़ते पंछियों की है.