ये है आज का मोगली, कई दिनों तक घने जंगलों में रह कर आ जाता है वापस
20 वर्षीय सुरेंद्र और उसकी 25 वर्षीय बहन राजेश्वरी की तुलना मोगली से की जा रही है. हां, हां वही मोगली जो जंगल बुक नाम के सीरियल का एक किरदार था. पर ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि ये दोनों छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव के पास बसे घने जंगलों में तीन दिन बिता कर सही सलामत अपने घर वापिस आ गये.
मां को हो रही थी चिंता
इनकी 45 वर्षीय मां पांचो बाई अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर, खासतौर पर सुरेंद्र के लिए काफ़ी चिंतित हो रही थीं. वो कहती हैं कि, “मैंने कई बार सुरेंद्र को बंदरों के साथ लुक्का-छुपी खेलते हुए देखा है. वो कबड्डी भी खेलता है और कभी-कभी तो उनका व्यवहार बंदरों के जैसा लगता है. बात को आगे बढ़ाती हुई वो कहती हैं कि सुरेंद्र जानवरों को अच्छे से जानता है. शायद इसी कारण इनका इतने घने जंगल में बाल भी बांका नहीं हुआ. पांचो बाई के तीन बच्चे हैं. परिवार नक्सल प्रभावित इलाके में रहता है. यहां Communist Guerrilla Group सक्रिय हैं. साल 2014 में इन्हीं ग्रुप्स ने इनके पिता को मार दिया था. गौरतलब है कि वो अपने बच्चों को जंगल में खोजने के लिए गये थे.
मां महीने में कई दिन लोगों के घर में साफ-सफाई का काम करके बिताती है. तमाम दिन मुश्किलात झेलने के बाद वो 160 रुपये कमा पाती है. दोनों बच्चे जंगल में चले गये थे, उनके पिता उन्हें जब खोजने गये तो नक्सलियों ने शक के बिनाह पर उन्हें मार दिया था.
"बच्चे तो तीन दिन के बाद वापिस आ गये लेकिन मेरे पति हमेशा के लिए चले गये.” वो कहती हैं कि गांव वालों की मदद से बच्चे घर पहुंचे. मैं हमेशा अपने बच्चों का भी अंत अपने पति की तरह सोचकर ही चिंतित रहती हूं.
पांचो बाई के परिवार का खर्च फिलहाल उनके पति का भाई उठा रहा है.
लेकिन गांव वाले लगातार इस बात से हैरान हैं कि ये दोनों भाई-बहन इतने घने और खतरनाक जंगल से आखिर वापिस कैसे आ गये.