इस सिख राजा कीचालाकी से भारत वापसआया था कोहिनूर,लेकिन फिर हाथ सेफिसल गया
दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माने जाने वाला कोहिनूर हीरा एक बार फिर चर्चा में है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा है कि ये हीरा ना तो चुराया गया था और ना ही बलपूवर्क ले
जाया गया था। आखिर क्या है कोहिनूर और क्यों इतना मशहूर है यह। इसको लेकर जब तब इतनी चर्चा क्यों होती रहती है? और अगर यह भारत पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह का था तो उनके पास कहां से आया?
दरअसल यह कई मुगल व फारसी शासकों से होता हुआ, अन्त में ब्रिटिश शासन के अधिकार में लिया गया, व उनके खजाने में शामिल हो गया। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कहानी के बारे में की आखिर ये महाराजा रणजीत सिंह के पास आया कहां से।दरअसल ये बात है सन् 1812 की जब पंजाब पर महाराजा रणजीत सिंह का शासन था।महाराजा रणजीत सिंह शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। उस समय महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर के सूबेदार अतामोहम्मद के शिकंजे से कश्मीर को मुक्त कराने का अभियान शुरू किया था। इस अभियान से भयभीत होकर अतामोहम्मद कश्मीर छोड़कर भाग गया।कश्मीर अभियान के पीछे सिर्फ यहीं एकमात्र कारण नहीं था दरअसल इसके पीछे असली वजह तो था बेशकीमती ‘कोहिनूर’ हीरा।अतामोहम्मद ने महमूद शाह द्वारा पराजित अफगानिस्तान के शासक शाहशुजा (शाहशुजा अहमद शाह अब्दाली का ही वंशज था जिसे की यह हीरा शाहरूख मिर्जा ने दिया था, तब से यह अब्दाली के वंशजो के पास ही था) को शेरगढ़ के किले में कैद कर रखा था। उसे कैद खाने से आजाद कराने के लिए उसकी बेगम वफा बेगम ने लाहौर आकर महाराजा रणजीत सिंह से प्रार्थना की और कहा कि ‘मेहरबानी कर आप मेरे पति को अतामोहम्मद की कैद से रिहा करवा दें, इस अहसान के बदले बेशकीमती कोहिनूर हीरा आपको भेंट कर दूंगी।’शाहशुजा के कैद हो जाने के बाद वफा बेगम ही उन दिनों अफगानिस्तान की शासिका थी।महाराजा रणजीति सिंह स्वयं चाहते थे कि वे कश्मीर को अतामोहम्मद से मुक्त करवाएं। उनके दीवान मोहकमचंद ने शेरगढ़ के किले को घेर कर वफा बेगम के पति शाहशुजा को रिहा कर वफा बेगम के पास लाहौर पहुंचा दिया और अपना वादा पूरा किया।