वैसे तो सावन का महिना शुरु हो चुका है, लेकिन अभी भी सभी को अच्छी
बारिश का बेसब्री से इंतज़ार है लेकिन पता नहीं बारिश कब आएगी.. ये मौसम
विभाग वाले भी सही से कुछ बता नहीं पाते, लेकिन ये इंडिया है! यहां मौसम
विभाग वाले बता पाएं या न बता पाएं, एक Mysterious मंदिर है जो बारिश की
खबर पहले ही दे देता है।
अनोखी Mysterious विशेषता के कारण प्रसिद्ध
वैसे तो भारत में कई मंदिर हैं जो अपनी भव्यता या सुंदरता के लिए
दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अपनी एक अनोखी
विशेषता के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर बारिश
होने की सूचना 7 दिन पहले ही दे देता है। आप शायद यकीन न करें पर यह हकीकत
है।
बरसात की भविष्यवाणी
बरसात को लेकर किसान हमेशा असमंजस में रहता है। ऐसे में मौसम विभाग की
सूचना पर ही भरोसा कर अपनी फसल उगाने की तैयारी करता है| कभी-कभी मौसम
विभाग की भी भविष्यवाणी गलत निकल जाती है, तो उसकी सारी आशाएं धरी की धरी
रह जाती हैं।
बना रहता है चर्चा का विषय
उत्तर प्रदेश कानपूर के विकासखंड मुख्यालय के बेहटा गांव में स्थित
जगन्नाथ मंदिर बारिश के सम्बन्ध में बिलकुल सही जानकारी बताने के कारण वहां
के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की
खासियत यह है कि बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने
आप ही टपकने लगती हैं।
रहस्यमयी है मंदिर
हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम
कोशिशों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा सही समय का रहस्य पुरातत्व
वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके। बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम
जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए
या इसका निर्माण किसने कराया आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं।
भगवान जगन्नाथ और बलदाऊ की मुर्तियां
इस मन्दिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थर
की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं सूर्य और पदमनाभम भगवान की भी मूर्तियां
हैं। मंदिर की दीवारें 14 फीट मोटी हैं। वर्तमान में मंदिर पुरातत्व विभाग
के अधीन है।
आखिर कैसे चलता है बारिश का पता
मौसमी बारिश के समय मानसून आने के एक सप्ताह पूर्व ही मंदिर के
गर्भ-ग्रह के छत में लगे मानसूनी पत्थर से उसी आकार की बूंदें टपकने लगती
हैं, जिस तरह की बरसात होने वाली होती है। जैसे ही बारिश शुरू होती है वैसे
ही पत्थर सूख जाता है।
कोई इतिहास नहीं
हालांकि मंदिर का आकार बौद्ध मठ जैसा है। जिसके कारण कुछ लोगों की
मान्यता है कि इसको सम्राट अशोक ने बनवाया होगा, परन्तु मंदिर के बाहर बने
मोर और चक्र की आकृति से कुछ लोग इसको सम्राट हर्षबर्धन से जोड़ कर देखते
हैं।