बजरंग बली जी का ऐसा रूप देश में तो क्या, पूरी दुनिया में आपको नहीं मिलेगा!!

सालासर बालाजी का मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में स्थिच एक पवित्र धार्मिक स्थल है। भगवान हनुमान को समर्पित यह मंदिर सालासर बालाजी के नाम से भी विख्यात है। इस मंदिर में दर्शन हेतु दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
3-salasarहर साल अश्विन और चैत्र पूर्णिमा के दिन यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस समय यहां लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने का कामना रखा कर बालाजी के दरबार पर पहुंचते हैं। इसके साथ ही हर मंगलवार एवं शनिवार के दिन यहाँ पर भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।

सालासर बालाजी की कथा

सालासर बालाजी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है। कहानी के अनुसार, राजस्थान के एक गांव असोटा (लाडनूं) में अचानक एक दिन खेती करते हुए एक किसान का हल किसी चीज से टकरा गया। किसान ने रूक कर देखा तो वहां उसे एक शिला दिखाई दी। वहां खुदाई करने पर उसे मिट्टी से सनी हनुमान जी की एक मूर्ति प्राप्त हुई।
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वह शनिवार का दिन था और श्रावण शुक्ल की नवमी थी। किसान ने इस घटना के बारे में गांववालों को बताया। उस गांव के जमींदार को भी उसी दिन सपने में हनुमान जी ने आदेश दिया कि उनकी मूर्ति सालासर में स्थापित की जाए। दूसरी ओर, सालासर के ही एक निवासी मोहन दास को भी हनुमान जी सपने में दर्शन देकर आदेश दिया कि उनकी मूर्ति आसोटा से लाकर सालासर में स्थापित की जाए।
अगले दिन भक्त मोहनदार ने जमींदार को आकर यह बात बताई। दोनों ही आश्चर्यचकित हो गए। दोनों ने आदेशानुसार मूर्ति को सालासर में स्थापित कर दिया। जल्द ही यह स्थल एक धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
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साथ ही इस मंदिर में बालाजी के परम भक्त मोहनदास जी की समाधि स्थित है तथा मोहनदास जी द्वारा प्रज्वलित अग्नि कुंड धूनी भी मौजूद है। मान्यता है कि इस अग्नि कुंड की विभूति समस्त दूखों एवं कष्टों को दूर कर देती है।

सालासर बालाजी मंदिर महत्व

सालासर का बालाजी मंदिर अनेक रूपों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा जो दाढ़ी मूंछ लिए हनुमान जी के व्यस्क रूप को दर्शाती है। बालाजी का यह रूप आपको कहीं और नहीं मिलेगा। इसके पीछे कहा जाता है कि भक्त मोहनदास ने हनुमान जी से विशेष रूप में दर्शन देने का अनुराध किया था।
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इसके साथ ही मंदिर के संबंध में कहा जाता है की पूर्णिमा के पावन दिन यहां आने वाले सभी भक्तों की मुरादें पुरी होती हैं। इस मंदिर में वो रथ भी आज मौजूद है, जिस रथ में मूर्ति को आसोटा से सालासर लाया गया था। मंदिर की बनावट के बारे में बड़ी खास बात यह भी है कि यह मंदिर चांदी से बना है।
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